Uranus Is Getting Cold – यूरेनस ठंडा होता जा रहा है, ये है असली वजह

यूरेनस, हमारे सौर मंडल का बर्फीला विशालकाय ग्रह, अपने अनोखे गुणों के कारण खगोल वैज्ञानिकों और ग्रह वैज्ञानिकों को लंबे समय से आकर्षित करता रहा है। दूसरे ग्रहों की तुलना में, यूरेनस अपनी धुरी पर 98 डिग्री के बेहद ज्यादा झुकाव के साथ तिरछा है, जो इसे सौरमंडल में दूसरे सभी ग्रहों से बहुत ही अलग बनाता है। इस ग्रह की यह अनोखी स्थिति और सूर्य के साथ इसका असामान्य संबंध (unusual relationship) इस दूर के ग्रह के चारों ओर कई रहस्यों को पैदा करते हैं।

हाल ही में, वैज्ञानिकों ने इस पहेली को समझने में जरुरी कामयाबी हासिल की है: क्यों यूरेनस का ऊपरी वायुमंडल रहस्यमय तरीके से ठंडा होता जा रहा है। इस पोस्ट में, हम उन रोचक नतीजों को जानेंगे जो इस घटना के पीछे की वजह को उजागर करते हैं और यह नतीजे हमारे ग्रहों के वायुमंडल (planetary atmospheres) की समझ के लिए क्या मतलब रखते हैं ये भी जानेंगे।

यूरेनस: एक अजीब ग्रह

यूरेनस को अक्सर हमारे सौर मंडल के ग्रहों में “oddball” कहा जाता है। इसका बेहद ज्यादा ध्रुवीय झुकाव इसके इतिहास में किसी पृथ्वी जितने विशाल ग्रह के टकराव का नतीजा माना जाता है। यह झुकाव बेहद अनोखे मौसमी बदलाव और वायुमंडलीय गतिशीलताएँ पैदा करता है जो सौरमंडल में किसी भी दूसरे ग्रहों से काफी अलग होती हैं।

Uranus: A Strange Planet

ग्रह का ऊपरी वायुमंडल, जिसे थर्मोस्फीयर-कोरोना कहा जाता है, विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है। यह क्षेत्र यूरेनस की सतह से लगभग 50,000 किलोमीटर ऊपर फैला हुआ है और इसमें तापमान 400 से 500 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने की संभावना है। इस इतने दूर मौजूद ग्रह में इतने ज्यादा तापमान की मौजूदगी इस बात पर सवाल उठाती है कि इसके पीछे कौन से ताप स्रोत (heat sources) जिम्मेदार हैं, खासकर तब, जब यूरेनस सूर्य से लगभग 3 बिलियन किलोमीटर दूर है। इससे भी अजीब बात यह है कि अब इसका तापमान गिर रहा है।

ठंडक का रहस्य

1986 में, नासा के वॉयाजर 2 अंतरिक्ष यान ने यूरेनस के ऊपर से ऐतिहासिक उड़ान भरकर इस ग्रह की पहली निकटतम छवियाँ (close-up images) और डेटा प्रदान (provide) किया था। इस यान के नतीजों में थर्मोस्फीयर के तापमान का मापन (measurement) भी शामिल था। तब से, खगोल वैज्ञानिकों ने थर्मोस्फीयर के तापमान की लगातार निगरानी की है, जिसमें ग्राउंड-बेस्ड टेलीस्कोप्स का उपयोग करके निकट-अवकाश (NIR) उत्सर्जन (near-infrared emissions) को मापा गया।

दशकों में, इन अवलोकनों (observations) ने एक अजीब सी पहेली को उजागर किया: यूरेनस का ऊपरी वायुमंडल तेजी से ठंडा हो रहा है। माप (Measurements) बताते हैं कि तापमान लगभग 700 केल्विन से घटकर लगभग 450 केल्विन तक पहुंच गया है। यह ठंडक खासतौर पर चौंकाने वाली है क्योंकि हमारे सौर मंडल के दूसरे ग्रह अपने ऊपरी वायुमंडलों में यूरेनस जैसे तापमान गिरावट नहीं दिखाते हैं।

थर्मोस्फीयर को समझना

यूरेनस की ठंडक को समझने के लिए, इसके थर्मोस्फीयर की भूमिका को समझना जरुरी है। दरअसल थर्मोस्फीयर एक पतली गैस की परत होती है जो निचले वायुमंडल और मैग्नेटोस्फीयर के बीच मौजूद होती है। यह तापमान और वायुमंडलीय गतिशीलताओं (atmospheric dynamics) को नियंत्रित करने में जरुरी भूमिका निभाती है।

Understanding The Thermosphere

H3+ आयनों (ions) की उपस्थिति आयनोस्फीयर में खगोल वैज्ञानिकों को थर्मोस्फीयर के तापमान की प्रभावी ढंग से निगरानी करने की अनुमति देती है। ये आयनोस्फीयर, थर्मोस्फीयर से ही जुड़ा हुआ है यानी (embedded) है। ये आयन (ions) जल्दी ही आस-पास के तटस्थ कणों (neutral particles) के साथ थर्मल संतुलन हासिल करते हैं और निकट-अवकाश स्पेक्ट्रम (near-infrared spectrum) में फोटॉन उत्सर्जित करते हैं। चूंकि कुछ NIR तरंग दैर्ध्य (NIR wavelengths) पृथ्वी के वायुमंडल को पार कर सकते हैं, जिसके चलते ग्राउंड-बेस्ड टेलीस्कोप इन उत्सर्जनों को मापकर तापमान में आने वाले बदलावों का निर्धारण कर पाते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि जबकि यूरेनस का ऊपरी वायुमंडल ठंडा हो रहा है, वहीँ इसके निचले वायुमंडल का अवलोकन (observations) ऐसी कोई गिरावट नहीं दिखाता है। यह विसंगति ही इस असामान्य घटना के पीछे की वजह को जानने के लिए सवाल उठाती है।

संभावित कारणों की जांच करना

यूरेनस की ठंडक को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने कई संभावित कारणों की जांच की:

  • मौसमी प्रभाव: यूरेनस के बेहद ज्यादा झुकाव को देखते हुए, कोई सोच सकता है कि मौसमी बदलाव इसके वायुमंडलीय तापमान पर जरुरी प्रभाव डालते हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं ने मौसमी प्रभावों को, इस देखे गए ठंडक का मुख्य कारण मानने से इनकार कर दिया है।
  • सौर चक्र प्रभाव: हमारा सूर्य लगभग 11 साल के सौर चक्र (solar cycle) से गुजरता है जिसमें सौर गतिविधि (solar activity) और ऊर्जा उत्पादन (energy output) में उतार-चढ़ाव होता रहता है। जबकि यह चक्र कई ग्रहों के वायुमंडलों पर प्रभाव डालता है, फिर भी यह यूरेनस पर देखे गए तापमान गिरावट से मेल नहीं खाता है। यानी सूर्य का सौर चक्र (Solar Cycle) भी, यूरेनस पर देखी गयी ठंडक के लिए जिम्मेदार नही है।

इन जांचों (investigations) ने वैज्ञानिकों को इस रहस्यमय ठंडक के पीछे की असली वजह को जानने के लिए वैकल्पिक स्पष्टीकरण (alternative explanations) पर विचार करने के लिए प्रेरित किया।

नए शोध निष्कर्ष

हाल ही में Geophysical Review Letters में प्रकाशित एक शोध ने बताया कि क्यों यूरेनस का थर्मोस्फीयर ठंडा हो रहा है। इस अध्ययन का नेतृत्व डॉ. एडम मास्टर्स (Dr. Adam Masters) ने किया, जो लंदन के इम्पीरियल कॉलेज (Imperial College) से हैं, और यह सुझाव देता है कि सौर हवा में बदलाव मुख्य रूप से इस घटना का कारण बन रहे हैं।

New Research Findings On Uranus

सौर हवा चार्ज किए गए कणों की धाराओं (जो मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनों और प्रोटॉनों) का समूह होती है जो सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) से निकलती हैं। पृथ्वी की तुलना में, जहां सूर्य की विकिरण (solar radiation) वायुमंडल को गर्म करने में जरुरी भूमिका निभाता है क्योंकि पृथ्वी सूर्य के करीब है, वहीं यूरेनस अपने ऊपरी वायुमंडल को गर्म रखने के लिए ज्यादातर सौर हवाओं की अंतःक्रियाओं (interactions) पर निर्भर करता है।

डॉ. मास्टर्स और उनके सहयोगियों ने पाया कि लगभग 1990 से सौर हवा दबाव (solar wind pressure) में धीरे-धीरे लेकिन महत्वपूर्ण कमी आई है। यह कमी सूर्य के ज्ञात 11 वर्षीय चक्र (solar cycle) से मेल नहीं खाती है लेकिन यह यूरेनस के ऊपरी वायुमंडल के तापमान में बदलावों से करीबी से मेल खाती है।

सौर हवा की भूमिका

यह निष्कर्ष बेहद गहरे और उलझे हुए हैं। शोध बताता है कि पृथ्वी की तरह जहां सूर्य की रोशनी मुख्य रूप से वातावरण को गर्म करती है, वहीं यूरेनस का थर्मोस्फियर तापमान सौर हवा की गतिशीलता द्वारा नियंत्रित होता है।

जैसे-जैसे सौर हवा का दबाव कम होता जाता है, यह यूरेनस के मैग्नेटोस्फीयर को बढ़ने देता है। मैग्नेटोस्फीयर सौर हवा कणों (solar wind particles) से एक ढाल का काम करता है; इसलिए एक बढ़ते हुए मैग्नेटोस्फीयर का मतलब होता है कि कम सौर हवा कण सीधे यूरेनस तक पहुँचते हैं। इस कमी वाले अंतःक्रिया (interaction) का नतीजा समय-समय पर थर्मोस्फीयर को कम गर्म करने में होता है।

डॉ. मास्टर्स का कहना है कि “कमजोर होते सौर हवा काइनेटिक पावर (solar wind kinetic power) का मतलब होना चाहिए कि यूरेनस के थर्मोस्फीयर का गर्म होना कमजोर हो रहा होगा,” जो सीधे देखे गए लंबे समय तक तापमान गिरावट (long-term temperature decline) की ओर ले जाता है।

निष्कर्षों के निहितार्थ (Implications)

यह खोज न केवल हमारे ज्ञान को बढ़ाती है बल्कि भविष्य में यूरेनस पर अनुसंधान (research) मिशनों पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। प्लैनेटरी साइंस एंड एस्ट्रोबायोलॉजी डेका सर्वे (The Planetary Science and Astrobiology Decadal Survey 2023-2032) ने यूरेनस पर एक मिशन को शीर्ष प्राथमिकता दी थी; हालाँकि अभी तक कोई भी स्वीकृत (approved) नहीं हुआ।

Implications Of The Findings

इनमे से एक प्रस्तावित मिशन अवधारणा (proposed mission concept) “यूरेनस ऑर्बिटर एंड प्रोब (UOP)” कहलाती है, जिसका उद्देश्य यूरेनस के वातावरण और मैग्नेटोस्फीयर के अलग-अलग पहलुओं का अध्ययन करना है। सौर हवा द्वारा थर्मोस्फियर तापमान पर प्रभाव डालने वाले इन नए दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए, मिशन लक्ष्यों को आगे अपडेट किया जा सकता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि ऊर्जा कैसे यूरेनस के असामान्य मैग्नेटोस्फीयर में जाती है।

एक्सोप्लैनेट्स पर व्यापक प्रभाव

इन निष्कर्षों का प्रभाव सिर्फ हमारे सौर मंडल तक सीमित नहीं हो सकता बल्कि एक्सोप्लैनेट अनुसंधान (exoplanet research) तक भी फैला हुआ है। अगर यूरेनस पर सौर-हवा ठंडक (solar-wind cooling) हो सकती है तो इसी तरह की प्रक्रियाएँ दूर मौजूद सितारों की परिक्रमा करने वाले एक्सोप्लैनेट्स पर भी हो सकती हैं।

डॉ. मास्टर्स का कहना है कि “यूरेनस पर इस स्पष्टीकरण से संकेत मिलता है कि ऐसे एक्सोप्लैनेट्स जो अपने मेज़बान तारों के साथ “जुपिटर” जैसे मजबूत स्थानीय प्रभाव के बिना जुड़े होते हैं यानी इन ग्रहों पर उनके तारे का सीधा या तेज़ प्रभाव (जैसे गर्मी या दूसरा ऊर्जा स्रोत) नहीं होता। और जिनके पास पर्याप्त बड़े मैग्नेटोस्फीयर होते हैं वे अपने सितारे से मुख्य रूप से इलेक्ट्रोडाइनामिक अंतःक्रिया (electrodynamic interactions) करेंगे।” जैसा की यूरेनस करता दिखा है।

इसका मतलब यह है कि एक्सोप्लैनेट्स के वायुमंडल में तापीय विकास (thermal evolution) को तारकीय विकिरण (stellar radiation) के बजाय तारकीय हवाएं (stellar winds) नियंत्रित कर सकती हैं – जो हमारे सौरमंडल के बाहर संभावित रूप से रहने योग्य ग्रहों की खोज करते समय एक जरुरी विचार है। अब इस बात का भी हमे ध्यान रखना होगा।

Massive Impact On Exoplanets

निष्कर्ष

यूरेनस का ऊपरी वायुमंडल क्यों ठंडा हो रहा है इसका रहस्य दशकों से वैज्ञानिकों को आकर्षित करता रहा है। हाल ही में किए गए शोध ने इस ठंडी घटना (cooling phenomenon) को सौर हवा गतिशीलताओं में बदलाव से जोड़ दिया है, जो दूर मौजूद ग्रहों और उनके वातावरण इंटरैक्शन समझने में मूल्यवान अंतर्दृष्टि (valuable insights) प्रदान (provide) करता है।

इन प्रक्रियाओं को समझना न केवल हमारे अपने सौर मंडल से जुड़े ज्ञान को बढ़ाता है बल्कि एक्सोप्लैनेट्स और उनके वातावरण का अध्ययन करने वाले अनुसंधानों (Researches) में भी जरुरी जानकारी प्रदान करता है।

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खैर उम्मीद तो यही करते हैं कि जैसे-जैसे हमारी तकनीक आगे और विकास करती जाएगी हम यूरेनस और नेपच्यून जैसे कोड जॉइंट्स ग्रहों को और भी ज्यादा गहराई के साथ जान पाएंगे, खैर क्या आपको पता है हाल ही में खगोलवैज्ञानिकों ने हमारी आकाशगंगा से बाहर एक तारे की। बेहद करीब से इमेज ली है। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप इस खोज पर लिखी गयी ब्लॉग पोस्ट पढ़ सकते हैं। फिलहाल आज के इस एपिसोड में इतना ही अगर आपको ये विडियो पसंद आया है तो नीचे कमेंट करके अपने सुझाव रखें, अपना ख्याल रखिएगा, जय हिन्द।

FAQ’s (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्रश्न. 1 सबसे ठंडा ग्रह कौन सा है?

उत्तर. सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह यूरेनस (Uranus) है। इसका तापमान -224 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है, जो इसे अन्य ग्रहों की तुलना में सबसे ठंडा बनाता है। यूरेनस सूर्य से लगभग 3 अरब किलोमीटर दूर स्थित है, जिससे यहाँ सूर्य की रोशनी बहुत कम पहुँचती है, और यह जीवन के लिए अनुकूल नहीं है।

यूरेनस का वायुमंडल मुख्य रूप से गैसों से बना है, जिसमें पानी की बर्फ, अमोनिया और मीथेन शामिल हैं। यह ग्रह अपने छल्लों के कारण भी जाना जाता है और इसका आकार पृथ्वी से 63 गुना बड़ा है।

हालांकि, कुछ स्रोतों के अनुसार वरुण (Neptune) को भी सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह माना जाता है, जिसका औसत तापमान -215 डिग्री सेल्सियस है। लेकिन सामान्यतः यूरेनस को सबसे ठंडा ग्रह माना जाता है।

प्रश्न. 2 यूरेनस के पास कितने चन्द्रमा हैं?

उत्तर. यूरेनस के पास वर्तमान में 28 ज्ञात चंद्रमा हैं। इनमें से पांच प्रमुख चंद्रमा हैं: टाइटेनिया, ओबेरॉन, मिरांडा, एरियल, और अम्ब्रियल। हाल ही में एक नया चंद्रमा S/2023U1 खोजा गया है, जो यूरेनस का 28वां चंद्रमा है। यह चंद्रमा केवल 8 किलोमीटर चौड़ा है और इसे यूरेनस के चारों ओर परिक्रमा करने में लगभग 680 दिन लगते हैं। यूरेनस के चंद्रमाओं के नाम अक्सर शेक्सपीयर के पात्रों पर रखे जाते हैं।

प्रश्न. 3 यूरेनस ग्रह का सबसे बड़ा उपग्रह?

उत्तर. अरुण ग्रह (यूरेनस) का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटेनिया है। इसका औसत व्यास लगभग 1,578 किलोमीटर है, जो इसे अरुण के सभी चंद्रमाओं में सबसे बड़ा बनाता है। टाइटेनिया का नाम शेक्सपियर के नाटक “मिडसमर नाइट्स ड्रीम” की पात्रा से लिया गया है।

यह उपग्रह अपने गुरुत्वाकर्षण के कारण गोल आकार में है और इसकी सतह बर्फ और पत्थर से बनी हुई है। इसके अलावा, टाइटेनिया की कक्षा में एक चक्कर लगाने में लगभग 209 घंटे लगते हैं।

प्रश्न. 4 यूरेनस किस ग्रह को कहते हैं?

उत्तर. यूरेनस, जिसे हिंदी में अरुण ग्रह कहा जाता है, हमारे सौर मंडल का सातवां ग्रह है। यह सूर्य से लगभग 2.9 बिलियन किलोमीटर (1.8 बिलियन मील) की दूरी पर स्थित है। यूरेनस की खोज 13 मार्च 1781 को विलियम हर्शेल ने की थी।

यह आकार के दृष्टिकोण से सौर मंडल का तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है और इसका व्यास पृथ्वी से लगभग 63 गुना बड़ा है। यूरेनस का एक अनूठा विशेषता यह है कि यह अपनी धुरी पर लगभग 90 डिग्री झुका हुआ घूमता है, जिससे इसे “लेटा हुआ ग्रह” भी कहा जाता है।

प्रश्न. 5 अरुण ग्रह का रंग कैसा है?

उत्तर. अरुण ग्रह (यूरेनस) का रंग हरा-नीला है। यह रंग मुख्य रूप से ग्रह के वातावरण में मौजूद मीथेन गैस के कारण होता है, जो सूर्य की रोशनी को अवशोषित करता है और इसे यह विशेष रंग प्रदान करता है। दूरबीन से देखने पर यह ग्रह हल्का हरा-नीला दिखाई देता है, जिससे इसे पहचानना आसान होता है। यूरेनस का यह अद्वितीय रंग इसे सौर मंडल के अन्य ग्रहों से अलग बनाता है।

Pankaj Gusain

नमस्ते! मेरा नाम पंकज गुसाईं है। मैं ऋषिकेश, उत्तराखंड, भारत से एक जुनूनी कंटेंट क्रिएटर हूं। मैंने 'Hindi CosmoVani' की स्थापना की है ताकि अपनी खगोलीय रुचि और ब्रह्मांड की अद्भुत खूबसूरती आप सभी के सामने ला सकूं।

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