आज से तकरीबन 13.8 अरब साल पहले जब हमारे ब्रह्मांड के साथ-साथ खुद समय का भी जन्म हुआ, जब खुद समय की गति भी अभी शुरू ही हुई थी। लगभग उस समय में खगोलविदों ने हाल ही में एक बेहद ही हैरतअंगेज खोज को अंजाम दिया है और यह खोज है तीन विशालकाए आकाशगंगाओं की जिन्हें वैज्ञानिकों ने “Red Monsters” नाम दिया है। लगभग हमारी आकाशगंगा (Milky Way) जितनी बड़ी ये प्राचीन आकाशगंगाएँ ब्रह्मांडीय विकास की हमारी समझ को चुनौती दे रही हैं।
स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के खगोलशास्त्री इवो लाबे (Ivo Labbé) का कहना है, कि जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की पहली तस्वीरों के बाद से ही बिग बैंग के तुरंत बाद ‘असंभव’ रूप से विशाल आकाशगंगाओं का यह सवाल खगोलवैज्ञानिकों को परेशान कर रहा है।”
बिग बैंग के तुरंत बाद इनका अस्तित्व उन मॉडलों को चुनौती देता है जो यह बताते हैं कि आकाशगंगाएँ कैसे बनती और बढ़ती हैं। यह ऐसा है जैसे किसी बच्चे का वजन अचानक 100 किलोग्राम हो गया हो—एक ऐसी विसंगति जिसके लिए एक ठोस स्पष्टीकरण (explanation) की जरुरत नजर आ रही है।
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) की मदद से वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड के शुरुआती समय में पहले से कहीं गहराई तक झांका है। इन अवलोकनों (observations) से पता चला है कि ये तीनो आकाशगंगाएँ सितारों का निर्माण मौजूदा सिद्धांतों की तुलना में दो से तीन गुना तेज़ी से कर रही थीं।
इतने कम समय में ऐसी “असंभव” आकाशगंगाएँ कैसे बन गईं? इसका उत्तर शायद “कॉस्मिक डॉन” के रहस्यों में छिपा है, जहां तारों के निर्माण और आकाशगंगाओं के विकास के नियम हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा अजीब साबित हो रहे हैं।
James Webb Space Telescope (JWST) और “Red Monsters”
25 दिसम्बर 2021 को अपने लांच के बाद से जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने शुरुआती ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने में बेहद अहम भूमिका निभाई है। “कॉस्मिक डॉन,” यानी बिग बैंग के पहले कुछ अरब वर्षों में झांकते हुए, JWST ने इस इंफ्रारेड छवियों (Images) के माध्यम से कईं प्राचीन आकाशगंगाओं का अद्भुत विवरण (details) को दिखाया है। यह तकनीकी चमत्कार हमें ब्रह्मांड के उन इलाकों तक पहुंचने में सक्षम बनाता है जो पहले हमारी पहुंच से बाहर थे।
आकाशगंगा निर्माण – वर्तमान सिद्धांत
आकाशगंगाओं के जन्म से लेकर उनके विकसित होने तक के पारंपरिक मॉडल (Traditional models) बताते हैं कि आकाशगंगाएँ धीरे-धीरे डार्क मैटर के गुरुत्वीय “ब्लॉब्स” से बनती हैं, जो बैरियोनिक (सामान्य) पदार्थ को आकर्षित करते हैं। समय के साथ, धीरे-धीरे यह पदार्थ ढहकर तारों में परिवर्तित हो जाता है या यूं कहें की तारों का निर्माण करता है और एक आकाशगंगा की संरचना बनाता है। हालांकि, ये प्रक्रियाएँ आज से पहले तक इतनी धीमी मानी जाती थीं कि शुरुआती ब्रह्मांड में विशाल आकाशगंगाओं का अस्तित्व असंभव माना जाता था।
“Red Monsters Galaxies” का रहस्य
अब इन तीन “Red Monsters” की खोज ने इन धारणाओं को पूरी तरह से पलट दिया है। खगोलविदों को इन आकाशगंगाओं में तेज़ गति से विकास के संकेत मिले हैं, जो शुरुआती ब्रह्मांड में पुरानी आकाशगंगाओं के धीमी गति वाले गठन (formation) मॉडलों को चुनौती देते हैं। एक संभावित स्पष्टीकरण यह हो सकता है कि सुपरमैसिव ब्लैक होल के चारों ओर से निकलने वाली तेज रोशनी इन तीनो आकाशगंगाओं को बड़ा दिखा रही हो।
कुछ आकाशगंगाओं के मामले में ऐसा हो सकता है। लेकिन स्विटजरलैंड के जिनेवा विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्री मेंगयुआन शियाओ (Mengyuan Xiao) के नेतृत्व में किए गए नए शोध (Study) ने पुष्टि कर दिया है कि ये 3 आकाशगंगाएँ वास्तव में विशाल हैं, न कि कोई (optical illusions) प्रकाशीय भ्रम।
JWST के FRESCO प्रोग्राम से प्राप्त खोजें
JWST के FRESCO (First Reionization Epoch Spectroscopically Complete Observations) प्रोग्राम, एक अंतर्राष्ट्रीय पहल (international initiative), ने इस खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस प्रोग्राम ने शुरुआती आकाशगंगाओं की दूरी और द्रव्यमान को सटीक रूप से मापा। ज्यादातर आकाशगंगाएँ वर्तमान मॉडलों के हिसाब सेफिट बैठ रही थीं, लेकिन ये तीन “Red Monsters” अपनी असामान्य संरचना और तेज़ी से तारों को जन्म देने की दर के कारण बिल्कुल ही अलग नजर आ रहीं थी।
तारा निर्माण की चुनौती
इन “Red Monsters” ने एक और रहस्य वैज्ञानिकों के सामने रखा वो था इनका तारों के जन्म देने की असाधारण क्षमता। इतनी तेज़ी से तारे बनाने वाली आकाशगंगाओं में आमतौर पर उच्च “फीडबैक” बल होता है, जो तारा निर्माण सामग्री (star-forming material) को दूर धकेल देता है और आकाशगंगा में तारों की जन्मदर को धीमा कर देता है। लेकिन, ये आकाशगंगाएँ इस सीमा को पार करती दिखी हैं, जो यह दर्शाता है कि ब्रह्मांड की बेहद शुरुआत में तारे और आकाशगंगाएं कैसे विकसित हुए इसको लेकर हमारी समझ में अभी भी कुछ अंतर मौजूद हैं।
भविष्य की संभावनाएँ
यह खोज ब्रह्मांडीय अनुसंधान (cosmic research) के नए दरवाजे खोलती है। JWST से भविष्य में और ज्यादा डेटा मिलने की उम्मीद है, जो हमारे ब्रह्मांडीय मॉडलों को बेहतर बनाने में मदद करेगा। इन तीन प्राचीन आकाशगंगाओं का अध्ययन करके, वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश करेंगे कि इनके इतने तेज़ी से बनने के पीछे कौन से अज्ञात तंत्र (hidden mechanisms) काम कर रहे हैं जिससे “कॉस्मिक डॉन” के रहस्यों को सुलझाया जा सके।
निष्कर्ष
ये तीन “Red Monsters”, आकाशगंगा निर्माण और विकास के एक लंबे समय से माने गए सिद्धांतों को आज चुनौती दे रही हैं। ये तीनो आकाशगंगाएं अब तक देखी गयीं दूसरी आकाशगंगाओं की तुलना में दो से तीन गुना अधिक दर पर बारियोनिक पदार्थ यानी सामान्य पदार्थ को तारों में परिवर्तित कर रही हैं।
लैबे (Labbé) का कहना है, “वर्तमान मॉडल यह स्पष्ट (clarify) करने में नाकाम रहे हैं कि ब्रह्मांड के बेहद शुरुवाती चरण में तारों का निर्माण इतना अधिक कुशल (super-efficient) कैसे हो सकता है।”
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इनका अस्तित्व खगोलविदों को वर्तमान मॉडलों पर दुबारा से सोचने और नई संभावनाओं को तलाशने के लिए मजबूर करता है। हम उम्मीद करते हैं जैसे-जैसे JWST अपनी खोजों को आगे जारी रखेगा, इससे मिलने वाले निष्कर्ष, ब्रह्मांड को लेकर हमारी समझ को और बेहतर करेंगे और इसके सबसे पुराने रहस्यों का खुलासा करेंगे।
खैर मुझे उम्मीद है आपको यह ब्लॉग पसंद आया होगा अगर ऐसा है तो अब आप यह ब्लॉग पोस्ट पढ़िए जिसमे हाल ही में खगोल वैज्ञानिकों ने पहली बार हमारी मिल्की वे गैलेक्सी से बहार किसी दूसरी गैलेक्सी में एक विशालकाए तारे की पहली करीबी तस्वीर लेने में सफलता हासिल की है।
FAQ’s (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
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बिग बैंग थ्योरी की खोज किसने और कब की थी?
बिग बैंग थ्योरी का आविष्कार बेल्जियम के खगोलशास्त्री जॉर्ज लेमैत्रे ने किया था। 1927 में उन्होंने यह सिद्धांत प्रस्तुत किया कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है और इसकी उत्पत्ति एक “प्राइमल एटम” या “कॉस्मिक एग” से हुई थी।
बाद में, एडविन हबल ने खगोलीय अवलोकनों के माध्यम से इस विचार को पुष्टि दी। बिग बैंग थ्योरी आधुनिक खगोलविज्ञान की नींव मानी जाती है और ब्रह्मांड की उत्पत्ति को समझने में अहम भूमिका निभाती है।
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ब्रह्मांड में कुल कितने गैलेक्सी हैं?
ब्रह्मांड में आकाशगंगाओं की संख्या का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार, इसमें लगभग 100 अरब से 200 अरब आकाशगंगाएं हो सकती हैं। हबल स्पेस टेलीस्कोप और दूसरे आधुनिक उपकरणों से मिली जानकारी के आधार पर यह संख्या तय की गई है।
हर आकाशगंगा में अरबों तारे, ग्रह और अन्य खगोलीय पिंड होते हैं। नई तकनीकों और अवलोकनों से यह संख्या भविष्य में और भी अधिक हो सकती है।
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ब्रह्माण्ड से पहले क्या था?
ब्रह्मांड के अस्तित्व में आने से पहले क्या था, यह एक जटिल प्रश्न है। वैज्ञानिकों के अनुसार, बिग बैंग से पहले स्थान, समय और पदार्थ जैसी चीज़ें अस्तित्व में नहीं थीं। पूरा ब्रह्मांड एक अनंत घनत्व और ऊष्मा वाले सिंगुलैरिटी में सिमटा हुआ था।
इस अवस्था को समझने के लिए हमारे पास वर्तमान भौतिकी के नियम पर्याप्त नहीं हैं। कुछ सिद्धांतों के अनुसार, यह स्थिति शून्यता या ऊर्जा क्षेत्र हो सकती थी, लेकिन यह अभी भी शोध का विषय है।
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